4.11.09

शिव के राज में विस्थापितों पर गिरी गाज

शिरीष खरे

खण्डवा। नर्मदा बचाओ आंदोलन के गैरकानूनी दमन के विरोध में अनिश्चितकालीन धरना और क्रमिक अनशन को देशव्यापी समर्थन मिलते देख पुलिस ने अचानक भारतीय दण्ड विधान की धारा 333 के तहत एक और केस दर्ज किया है। इसके बाद आंदोलन की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि न्यायालय के आदेशों का पालन करने की मांग करने वालों के साथ-साथ संघर्षरत किसान-आदिवासियों पर प्रशासनिक कहर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। पुलिस नए-नए केसों में उन्हें इस तरह से उलझा रही है कि न्यायालय के आदेशों की मांग करने वाले घबराकर दब जाएं। पुलिस और प्रशासन का यह कृत्य कानून का शासन स्थापित करने में बाधक है। इससे न केवल लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है बल्कि लोकत्रांतिक मूल्यों में आम जनता की आस्था को भी क्षरित करने का दुष्प्रयास किया जा रहा है। प्रशासन की इस मनोवृति के खिलाफ आंदोलन अपना झण्डा बुलंद करेगा।


दूसरी तरफ प्रशासन के इस गैरकानूनी रवैए के विरोध में कई और जगहों से लगातार प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। जनपहल की तरफ से भोपाल में कई कार्यकर्ताओं ने ‘राज्य मानवाधिकार आयोग’ से दोबारा मुलाकात की और प्रशासन के गैरकानूनी दमन से जुड़े ताजा सबूत पेश किए। आयोग ने इसे गंभीर मानते हुए कहा है कि जिला प्रशासन बुधवार को दी जाने वाली रिपोर्ट में अपनी स्थिति साफ करने वाला है, इसके बाद ही कार्यवाही तय की जाएगी। इंदौर में 50 से अधिक आंदोलन सर्मथकों के एक प्रतिनिधिमण्डल ने कमिशनर से मिलकर खण्डवा जिला प्रशासन की इस दमनकारी नीति का विरोध किया है। प्रतिनिधिमण्डल में वरिष्ठ शिक्षाविद प्रोफेसर आर डी प्रसाद, साहित्यकार सरोज कुमार, संस्कृतिकर्मी चिन्मय मिश्र, शिल्पी केन्द्र के अमूल्य निधि, झुग्गी बस्ती संघर्ष मोर्चा के राकेश चांदोरे ने इस घटना को प्रभावितों के नीतिगत अधिकारों का हनन बताया है। उधर छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने दुर्ग में मशाल रैली करने का फैसला लिया है।


हरदा में नारायण टाकीज चौक पर समाजवादी जन परिषद और क्रांति हम्माल जन यूनियन ने आंदोलन के समर्थन में धरनाप्रदर्शन किया। इस दौरान सजप के महामंत्री सुनील ने उच्च न्यायालय के आदेशों के पालन की मांग करने वाले आंदोलनकारियों को हिरासत में लिए जाने को न्यायालय की अवमानना बताया है। बड़वानी में जागृत दलित आदिवासी संगठन ने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर आंदोलन का समर्थन किया। इधर खण्डवा में धरनास्थल पर मेधा पाटकर सहित आंदोलन के हजारों कार्यकर्ताओं और समर्थकों की मौजूदगी में कार्यक्रम जारी हैं।

1 टिप्पणी:

Kathan ने कहा…

sach kaha dost ,

humare desh mai kanoon ko kis tarah se tod-marod kar apne hiton ke lie istemaal kia jaa sakta hai , iskaa isse bada sakchaat udaharan nahi ho sakta......sharm khandava prashan sharm.....