30.8.11

कम वेतन वाले परिवारों के बच्चे कुपोषित


कुपोषण और गरीबी दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और देश की प्रगति में बाधक हैं. जिन परिवारों में कुपोषित बच्चे हैं, उनमें से ज्यादा संख्या ऐसे परिवारों की है जिनके सदस्य बुनियादी न्यूनतम मजदूरी भी अर्जित नहीं करते हैं.

जैसा की क्राई भी मानता है कि जिन परिवारों में कुपोषित बच्चे हैं, उनमें से ज्यादा संख्या ऐसे परिवारों की है जिनके सदस्य न्यूनतम मजदूरी भी अर्जित नहीं करते हैं. क्राई और इसके दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में स्थित साझेदार संगठनों के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कुपोषण के अधिक मामले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्गो में हैं. क्राई के मुताबिक़ "ऐसे परिवारों के ज्यादातर लोग दैनिक मजदूरी पाते हैं." अध्ययन के अनुसार दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाले 60 प्रतिशत से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. क्राई का अध्ययन बताता है, "दिल्ली की 20 प्रतिशत आबादी झुग्गियों में रहती है और इन झुग्गियों में रहने वाले 66 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं."

अध्ययन में सामने आया है कि मध्य प्रदेश में 60 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 85 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी पाई गई है, जबकि 41.6 प्रतिशत का वजन जरूरत से कम है. राष्ट्रीय आंकड़े के मुताबिक 40 प्रतिशत बच्चों का वजन जरूरत से कम है और 45 प्रतिशत की वृद्धि रुकी हुई है.
वर्मा ने सुझाव दिया कि जन वितरण प्रणाली, समेकित बाल विकास परियोजना एवं राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी विभिन्न योजनाओं में सुधार लाने की जरूरत है तथा समस्या से निजात पाने के लिए कड़ी निगरानी की जरूरत है.

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