21.11.10

दूरियां कब बनेंगी नजदीकियां



चेन्नई। शिक्षा के अधिकार व अनिवार्य शिक्षा जैसे नारों के पीछे की असलियत यही है कि आज भी कई बच्चे शिक्षा के मौलिक हक से वंचित हैं. विद्यालय और घर के बीच की दूरी इनकी शिक्षा के आड़े आ रही है.

बाल दिवस के मौके पर प्रेस क्लब में कृष्णगिरि जिले के तेनकनीकोट्टै आरक्षित वन्य क्षेत्र के निकट के गुलाटी गांव से आए बी. नागराज (12) और पी. मुनिराज (11) काफी उत्साहित दिखे इसकी वजह उनके परिवार के वे पहले दो बाशिंदे थे जिन्हें उनके घर से आगे कहीं सफर करने का अवसर नसीब हुआ था. उनका कहना था कि उनके दादा-दादी व मां-बाप ने कभी स्कूल नहीं देखा. उनकी गांव में स्कूल न होने के बाद भी पांच साल पहले वे पड़ोसी गांव की स्कूल में नौ वर्ष की आयु में पहली कक्षा में भर्ती हुए. स्कूल में शिक्षा का माध्यम तेलुगू था और अध्यापकों की डयूटी 11 से 2 तक रहती.

क्राई ने इस अवसर को चुनते हुए रविवार को राज्य के पांच अलग-अलग इलाकों से आए बच्चों को मीडिया से मुखातिब कराया जो शिक्षार्जन को लालायित थे. ये बच्चे बेबाक अंदाज में अपनी समस्याओं पर बोले. क्राई ने इस आयोजन के जरिए बताया कि राज्य के कई हिस्सों में स्कूलों की दूरी रिहायशी इलाकों से 10 किमी है जबकि आरटीई के तहत हर 1 किमी पर स्कूल होनी चाहिए.

वे जो भी पढ़ाते भाषाई समस्या के चलते उनकी समझ के परे था. इसी वजह से उनके घर वालों ने पढ़ाई छोड़कर काम में हाथ बंटाने को कहा और वही चीज वे आज कर रहे हैं. इसी तरह रामनाथपुरम के तोवकाडु गांव के एन. नागविजय व मंडवैकुप्पम के एम. पांडियन को स्कूल तक पहुंचने के लिए रोजाना क्रमश: 6 व 8 किमी का फासला तय करना पड़ता था. नागविजय ने इसी वजह से पिछले साल पढ़ाई छोड़ दी थी लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता ने उसे पुन: स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित किया.

छात्रों ने बड़े ही करूणाई अंदाज में कहा कि गर्मी और बारिश के दिनों में छह किमी का सफर पीठ पर बस्ता लेकर तय करना काफी मुश्किल होता है. अपने अभिभावकों के चलते वह स्कूल जा रहा है और उसका लक्ष्य अच्छा पढ़कर जीवन में सफल होना है. इसी तरह दिण्डीगुल जिले के कोडैकेनाल के काड़मनरवु गांव की वी. पी. चित्रा (15) जो छठी में पढ़ती है रोजाना 35 किमी का सफर तय करती है.

क्राई के उप महाप्रबंधक (विकास-समर्थन) पी. कृष्णमूर्ति का कहना है कि वे इस बात से वाकिफ है सरकार देश में शिक्षा व्यवस्था में आमूल परिवर्तन लाने के प्रयास में हैं लेकिन इस कोशिश विच्छिन्नता है. हम चाहते हैं कि राज्य में बदलाव लाने के लिए सरकार आदेश जारी करे. आरटीई के तहत अनिवार्य की गई स्कूल प्रबंधन समितियां इन समस्याओं के समाधान में सहायक हो सकती है.

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