4.5.10

एक मीनार जो कानून से ऊंची है

शिरीष खरे

मुंबई के सबसे मंहगे इलाकों में से एक है बालकेश्वर, जहां 32 मंजिलों वाली यानी इलाके की सबसे ऊंची मीनार बन रही है, मगर उससे कहीं ऊंची खबर अपने पास यह है कि यह मीनार महाराष्ट्र के कायदे-कानूनों से अब बहुत ऊपर उठ चुकी है, और उसे उठाने वाला भी कोई मामूली आदमी नहीं है, बल्कि मशहूर डायमंड मर्चेण्ट और फिल्म फायनेंसर भरत शाह है।

मुंबई के तटीय क्षेत्र में जब भी कोई बिल्डिंग बनाई जाती है तो उसके पहले बिल्डर को ‘कोस्टल रेग्यूलेटरी जोन नोटिफिकेशन’ के तहत एमसीजेडएमए यानी ‘महाराष्ट्र कोस्टल जोन मेनेजमेंट अथोरिटी’ से मंजूरी लेनी पड़ती है। मगर भरत शाह है कि एमसीजेडएमए की मंजूरी लिए बगैर समुद्र के किनारे से अपनी बिल्डिंग को आसमान की ऊंचाई तक पहुंचा देना चाहते हैं।


उधर ‘कोस्टल इन्वायरमेंट अथोरिटी’ ने साफ कह दिया है कि बाल्केश्वर की इस 32 मंजिलों वाली निर्माणाधीन बिल्डिंग के बिल्डरों ने एमसीजेडएमए से कोई मंजूरी नहीं ली है और इस तरह से उन्होंने ‘कोस्टल रेग्यूलेटरी जोन नोटिफिकेशन’ का साफ-साफ उल्लंघन किया है।

एक जनहित याचिका के जवाब में एमसीजेडएमए द्वारा जो एफिडेबिट फाइल की गई है उसमें बताया गया है कि भरत शाह की कंपनी ‘लेयर्स एक्सपोर्ट कारर्पोरेशन’ ने ’लेजेण्ड’ नाम से इस बिल्डंग को बनाने के पहले अथोरिटी के सामने कोई प्लान सब्मिट नहीं किया।

31 जुलाई, 2009 को, ‘इन्वायरमेंट सेक्रेटरी’ वाल्सा आर नायर सिंह ने भरत शाह की कंपनी और उनकी बिल्डिंग के प्रोजेक्ट अर्किटेक्ट को पत्र भेज था और उन्हें एफिडेबिट के बारे में जरूरी जानकारी दी थी। उस पत्र के जरिए तब दोनों से कहा गया था कि उन्हें अभी तक की सारी कानूनी अनुमतियों (अगर एमसीजेडएमए की अनुमति भी ली गई है तो उससे भी) से जुड़े कागजातों को 15 दिनों के भीतर उपलब्ध कराना है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो ‘इन्वायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट, 1986’ के प्रावधानों के तहत भरत शाह की कंपनी और उनकी बिल्डिंग के प्रोजेक्ट अर्किटेक्ट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मगर आरोप है कि अबतक न तो भरत शाह की कंपनी और न ही उनकी बिल्डिंग के प्रोजेक्ट अर्किटेक्ट ने ‘इन्वायरमेंट सेक्रेटरी’ के पत्र का कोई जवाब भेजा है।

इस संबंध में जब भरत शाह से संपर्क साधा गया था तो पहले उन्होंने कहा कि ‘इन दिनों जनहित याचिका फाइल करना एक फैशन हो गया है’; मगर जब उनसे ‘कोस्टल रेग्यूलेटरी जोन’ में मंजूरी वाली बात पूछी गई तो बोले कि वह अपनी टीम से पेपर मंगवाकर ही कुछ बता पाएंगे। जबकि उनकी कंपनी के अधिकारियों का कहना था कि बीते साल की जुलाई से अबतक, उन्हें कानूनी अनुमतियों को उपलब्ध करवाने से जुड़ा अथोरिटी का कोई पत्र नहीं मिला है।

हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका दायर करने वाले सिम्प्रीत सिंह ने बताया है कि ‘‘इसी एक बिल्डिंग में 24 तरह की कानूनी अनियमिताएं हैं।’’ उनके प्रतिनिधि एडवोकेट योगेश प्रताप सिंह कहते हैं कि ‘‘बिल्डिंग से जुड़ी हर तरह की अनुमति, जिसमें कोस्टल रेग्यूलेटरी जोन की अनुमति भी शामिल है, को लेना बिल्डर की जिम्मेदारी होती है, जो उसने नहीं निभायी है।’’

दूसरी तरफ, इस कहानी से बेखबर ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने समुद्र के आगे ’लेजेण्ड’ में अपार्टमेंट खरीदने के लिए एडवांस बुकिंग करायी है। अनुमान के मुताबिक एक अपार्टमेंट करोड़ों रूपए का है, यह अनुमान इस इलाके में अपार्टमेंट की वर्तमान कीमत के आधार पर लगाया गया है, जो फिलहाल 60,000 रूपए प्रति वर्ग फीट के हिसाब से बिक रहा है।

भरत शाह की कंपनी का यह प्लाट 4300 वर्ग मीटर में फैला है और राजभवन के एकदम बाजू में है। कभी यहां के टूटे-फूटे घरों में निम्न और मध्यम वर्गीय परिवार रहा करते थे। 1995 के आसपास, भरत शाह ने यहां के लिए एक ‘पुर्नविकास परियोजना’ का एलान किया था। 1997 में, उनके बिल्डर ने ‘मुंबई बिल्डिंग्स रिपेयर एण्ड रिकन्स्ट्रशन बोर्ड’ से एनओसी यानी ‘नो ओब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ पाया था। 1999 में, यहां आवास के लिए केवल 16 मंजिलों को बनाए जाने, पार्किंग और रिटेल मार्केट की जगह दिये जाने को ही मंजूरी दी गई थी। मगर आज देखिए- 32 मंजिलों का निर्माण किया जा रहा है।

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संपर्क : shirish2410@gmail.com

1 टिप्पणी:

honesty project democracy ने कहा…

क्या कर रही है सरकार और सरकारी एजेंसियां ? अच्छी खोजी रचना के लिए आपका धन्यवाद /

आशा है आप इसी तरह ब्लॉग की सार्थकता को बढ़ाने का काम आगे भी ,अपनी अच्छी सोच के साथ करते रहेंगे / ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी और इस हफ्ते अदा जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /