10.11.09

खेत के मालिक मगर कागज पर भूमिहीन

शिरीष खरे


मुंबई। भिवंडी में  दलित-आदिवासी 60 सालों से 11 हेक्टेयर चारागाह की जमीन पर खेती करने और तमाम सरकारी औपचारिकताएं निपटाने के बावजूद भूमिहीन के भूमिहीन हैं। राजस्व विभाग के अधिकारियों को इनके नाम भूमि दर्ज करने में न जाने क्या परेशानी है ?

अर्जुनली, भिवंडी तालुका के सर्वे नम्बर 44 को देखने पर पता चलता है कि 11 हेक्टर से ज्यादा जमीन चारागाह की है। जहां यंहा के बारक्या मुकणे, कमल्या मुकणे, सजन मुकणे, रामा मुकणे, जाऊ मुकणे, ताराबाई वाघे, बालाराम वाघे, शरद महादू चव्हाण, सुभाष जाधव, आत्माराम चव्हाण, महेन्द्र जाधव, रमेश चव्हाण, राजेन्द्र जाधव, महेन्द जाधव, भीमराव गायकवाड़ और नारायण गायकवाड़ अपने बाप-दादा के जमाने (1949) से फसल उगा रहे हैं। यह तथ्य महाराष्ट्र के `जमीन गायरन कानून´ से मेल खाता है। इस कानून के मुताबिक 14 अप्रैल 1991 के पहले से जो परिवार ऐसी जमीन का इस्तेमाल करते हैं उन्हें वह जमीन दे दी जाए। मगर कानून बनने के एक दशक बाद भी यहां के किसान अपनी जमीन पाने की कोशिशों में उलझे हुए हैं। इन किसानों ने 1958 में जमीन के क्षेत्रफल के हिसाब से राज्य सरकार को दंड भी दिया है।

जमीन के अतिक्रमण की सूचना व मंडल अधिकारी से लेकर तहसीलदार, जिला अधिकारी से लेकर राजस्व विभाग में दर्ज है। विधानसभा चुनाव के पहले तब के राजस्व मंत्री डॉ. पतंगराव कदम और सामाजिक न्याय मंत्री चंद्रकांत हंडोरे ने जिला अधिकारी को कार्रवाई करने का आदेश भी दिया था। इसके बाद जिला अधिकारी ने भिवंडी के तहसीलदार को यह जमीन दलित-आदिवासियों के नाम करने का आदेश दिया। मगर अभी तक इन किसानों के नाम सात बारह तक नहीं पहुंचे हैं। इस तरह यह अभी तक भूमिहीन के भूमिहीन ही हैं। राजस्व विभाग के अधिकारियों की अनदेखी को देखते हुए यह कह पाना मुश्किल है कि यह दलित-आदिवासी किसान न जाने कब तक भूमिहीन के भूमिहीन ही रहेंगे ?

दूसरी तरफ महाराष्ट्र के बीड़ जिले में दलितों ने जानवर चराने वाली पहाड़ियों पर ज्वार पैदा करके सामाजिक ताना-बाना ही बदल दिया। इन दिनों वहां के दलित 69 गांवों की करीब 2000 एकड़ पहाड़ियों पर बीज उगाते हैं। इस संघर्ष में औरतों ने भी बराबरी से हिस्सेदारी निभायी थी। इसलिए उन्हें जमीन का आधा हिस्सा मिला। इस तरह खेतीहीन से किसान हुए कुल 1420 नामों में से 710 औरत हैं। मगर इतने सालों की लड़ाई के बाद भी इनके हक की जमीन इनके नाम नहीं हो सकी हैं।

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