25.11.09

सबको शिक्षा समान शिक्षा अभियान से जुड़ते लोग

शिरीष खरे


मुंबई। चाईल्ड राईटस एण्ड यू द्वारा मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम में संशोधन को लेकर छेड़े गए अभियान को अब महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और बिहार सहित देशभर से जनसमर्थन मिल रहा है। इसके तहत 17 राज्यों से लगभग 200 एनजीओ और 6700 समुदायों के बीच बच्चों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए मांगपत्र पर नागरिकों से हस्ताक्षर लिए जा रहे हैं। सबको शिक्षा समान शिक्षा नाम के इस अभियान में बच्चों के लिए जनजागरण, कार्यशालाओं और नुक्कड़ नाटकों का सिलसिला भी चल रहा है। इस अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि देश के हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देना सरकार की जवाबदारी है मगर मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के नाम से बनाये गए मौजूदा अधिनियम में बहुत सारी खामियां हैं। इस अभियान का आखरी पड़ाव 11 दिसम्बर है, जब हस्ताक्षरों वाली एक पुस्तिका राष्ट्रपति को सौंपते हुए उनसे 0 से 18 साल तक के बच्चों को मुख्य प्रावधान में लाने, सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने और बस्ती से 1 किलोमीटर के भीतर सुविधायुक्त स्कूलों के साथ-साथ योग्य शिक्षकों के लिए भी मांग की जाएगी। क्राई ने इस अभियान से करीब 5 लाख नागरिकों के जुड़ने की संभावना जतायी है।


अभियान से जुड़ते लोग
अकेले मुंबई में 4 दिनों के भीतर 34 जगहों से करीब 20 हजार नागरिकों ने अपने हस्ताक्षर करके इस अभियान को समर्थन दिया है। इसके अलावा राजस्थान के पोकरन में जन मोर्चा राजस्थान और क्राई के संयुक्त तत्वावधान तथा स्थानीय जनसमूहों के सहयोग से शिक्षा के मौलिक अघिकार अधिनियम के भीतर जनपक्षीय बदलाव के लिए राजस्थान भर में अभियान शुरू किया गया है। इस मौके पर पंचायत समिति सांकड़ा के प्रधान अब्दुल रहमान मेहर ने कहा कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार हो, हर बच्चे को समान शिक्षा के अवसर मिले तभी प्रतिभाएं निकलकर सामने आएगी और देश आगे बढ़ेगा। जनमोर्चा राजस्थान के कलाकारों सीपी व्यास, पवनकुमार, प्रकाश पन्नु, मुकेश द्विवेदी, जयदीप बीकानेरी, गोविंद, मोइनुद्दीन और उनके बहुत सारे साथियों ने आज की शिक्षा-राजनीति की वास्तविक स्थिति, विद्यालयों में शिक्षकों की कमी, पोषाहार घोटालों पर एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया।


उत्तरप्रदेश के लखनऊ में 40 करोड़ भारतीय बच्चों में से 20 करोड़ स्कूल नहीं जा पाते हैं- यह बात क्राई के शुभेंदु भट्टाचार्य ने प्रदेश के सभी जिलों में सबको शिक्षा समान शिक्षा अभियान चालाते हुए कही। उन्होंने आगे कहा कि आज से 20 साल पहले भारत सरकार ने देश के बच्चों को एक समान शिक्षा देने की बात कही थी। मगर आज 20 साल बीतने के बाद भो हाल जैसा का तैसा ही है। संसद ने तीन बार 1968, 1982 और 1992 में कामन स्कूल सिस्टम सर्वमान्य पाठशाला व्यवस्था लागू की है। मगर अभी तक बच्चों को समान शिक्षा नहीं मिल पा रही है। बच्चे इससे वंचित हैं। आज सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और प्राइवेट स्कूलों की संख्या बढ़ती जा रही, इससे अमीर घर के बच्चे तो वहां पढ़ रहे हैं मगर गरीब घर के बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढना पढ़ रहा है। जहां पढ़ाई बस नाम की ही हो रही है। क्राई के मुताबिक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम में संशोधन करके इसे भारत का सबसे महत्वपूर्ण अधिनियम बनाया जा सकता है। इसके पहले शिक्षा समानता पद मार्च में बच्चे 'रोटी खेल पढाई प्यार, हर बच्चे का है अधिकार/जैसा बच्चा हुजूर का, वैसा मजूर का/राष्टपति का बेटा हो या चपरासी की हो संतान, सबको शिक्षा एक समान' जैसे नारे लगाकर लोगों से हस्ताक्षर करने की अपील की।


उत्तराखंड के गोपेश्वर में शिक्षा के अधिकार अधिनियम में संशोधन को लेकर चल रहे अभियान पर क्राई के उत्तराखंड प्रभारी मोहम्मद सलाम खान ने कहा कि स्कूलों में ही प्राइवेट स्कूल जैसी ही पढ़ाई हो और बच्चों को बाहरवीं तक शिक्षा की गारंटी दी जाए। इससे गरीब बच्चे न केवल बेहतर बल्कि आत्मविश्वास और ईज्जतदार तरीके से भी पढ़ सकेंगे। बिहार में भागलपुर के कला केन्द्र में क्राई के पूर्वी क्षेत्र के मैनेजर शरदेंदु बनर्जी ने बताया कि 6 साल से नीचे ही 6 करोड़ 70 लाख बच्चे हैंए जिन्हें 1993 में सर्वोच्च न्यायालय ने मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की गांरटी दी थी। जबकि इस विधेयक में उनका हक़ कट हो गया है। यह तो सभी बच्चों को शिक्षा के हक देने की बजाय पूर्ण शिक्षा की गारंटी में कटौती करने वाला विधेयक है। इस मौके पर परिधि संस्था के निदेशक उदय ने कहा कि या कि बिहार के 25 सौ से ज्यादा गांवों एवं 30 जिलों में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।



चलते-चलते
क्राई के मुताबिक भारत की 53 प्रतिशत बस्तियों में स्कूल न होने के बावजूद इस बार के बजट पर बच्चों की शिक्षा पर कटौती की गई है। वह भी तब जब भारत 2015 तक स्कूली शिक्षा का लक्ष्य पूरा नहीं कर सकता है।

1 टिप्पणी:

Apanatva ने कहा…

sarkaar ko barabar kosate rahana kya uchit hai?